बिहू असम राज्य का सबसे बड़ा और पवित्र पर्व माना जाता है। वहाँ के लोगों में भी इस पर्व के प्रति गहरी आस्था है। असम में इस त्योहार के साथ ही नये साल की शुरुआत होती है। साल 2020 में बिहू 15 जनवरी को भारत में मनाया जाएगा। यह त्यौहार मुख्य रूप से किसान वर्ग को समर्पित होता है। कहते हैं कि यह त्यौहार फसलों का त्यौहार है। क्योंकि जब यह त्यौहार पड़ता है उसी दौरान किसान अपनी नई फसलें काटते हैं। इस दिन सूर्य मेष में गोचर करता है, इसलिए नये सौर कैलेंडर की शुरुआत माना जाता है।
यह त्यौहार साल में तीन बार मनाया जाता है। सबसे पहले होता है रंगाली बिहू या बोहाग बिहू। इसे फसल बुबाई की शुरूआत का प्रतीक माना जाता है और कहते हैं कि इस त्यौहार से नए वर्ष का शुभारंभ होता है। इसके बाद आता है भोगाली बिहू या माघ बिहू। यह फसलों का काटने का वक्त होता है। इसलिए इसे फसल कटाई का त्योहार भी कहते हैं। तीसरा और अंत में आता है काती बिहू या कांगली बिहू। यह शरद ऋतु का एक मेला है। इस मेला पर्व भी कहते हैं।
बिहू का त्यौहार मुख्य रूप से फसलों का त्यौहार है। इस दिन लोग अपने आंगन में रंगोली बनाते हैं। इस दिन घर में बनने वाली पकवान नई फसलों से बनाई जाती है। महिलाएं और पुरुष इस दिन अपनी पारंपरिक पोशाकें पहनते हैं और लोकगीत गाते हैं। यह एक दिन का नहीं, बल्कि सात दिनों का त्योहार होता है जिसमें हर दिन का अपना अलग महत्व है। इस त्यौहार की विशेषता यह है कि इस दिन हर कोई सुबह जल्दी उठता है और कच्ची हल्दी और उड़द की दाल के पेस्ट से स्नान करता है। नहाने के बाद लोग इस दिन नये कपड़े पहनते हैं और बड़ों का आर्शीवाद लेते हैं।
घर पर आए मेहमानों का भोजन खिलाना, गले मिलकर बधाई देना और एक दूसरे को तोहफा देना। इस दिन की विशेष परंपरा है। इस बिहू का दूसरा महत्व है इस दिन जमीन पर बारिश की पहली बूंदें पड़ती हैं और पृथ्वी नए रूप से सजती है। फसलें ही नहीं जानवर, जीव-जंतु एवं पक्षी की भी नई जिंदगी की शुरुआत होती है। इस मौके पर युवा लड़के और लड़कियाँ साथ-साथ ढोल, पेपा, गगना, ताल, बांसुरी इत्यादि के साथ अपने पारंपरिक परिधान में एक साथ बिहू करते हैं।
बिहू असम का पर्व है इसलिए इस दिन बनने वाले पकवान भी वहां के लोगों के टेस्ट से संबंधित होते हैं। लोग इन्हें बड़े चाव से खाते हैं और घर पर आने वाले मेहमानों को भी खिलाते हैं। इसदिन पकने वाले पकवानों में खार, आलू पितिका, जाक, मसोर टेंगा और मांगशो खास होता है। इन सब डिश को बनाने की विधि भी अलग होती है और जाहिर है कि स्वाद भी अलग ही होता है। खार में जहां क्षारीय तत्व डाला जाता है और पपीते के साथ-साथ जले हुए केले के तने का इस्तेमाल भी किया जाता है। तो वहीं आलू पितिका को उबले हुए आलू से बनाते हैं। इसे बिहार में चोखा कहते हैं।
इसमें उबले आलू के साथ प्याज, हरी मिर्च, हरी धनिया पत्तियां, नमक और सरसों तेल डाला जाता है। यह स्वाद में बहुत चटपटा होता है और इसे वहां के लोग चावल के साथ खाते हैं। जाक यानि कि साग होता है जो हरी पत्तेदार सब्जियों से बनता है। यह पेट के लिए बहुत अच्छा होता है। मसोर टेंगा मछली डिश है। यह यहां बहुत मशहूर है। यह स्वाद में थोड़ा खट्टा होता है। इसमें नींबू, कोकम, टमाटर, हर्ब्स, कोकम आदि डाला जाता है। इसे चावल और रोटी दोनों के साथ खाया जाता है। मांगशो मटन करी डिश है। बच्चे से लेकर बड़े तक हर कोई इसे बहुत पसंद करता है। असम में इसे लूची यानी कि पुलाव के साथ खाते हैं।
हम उम्मीद करते हैं कि बिहू से संबंधित हमारा ये लेख आपको पसंद आया होगा। हमारी ओर से आप सभी को बिहू की ढेर सारी शुभकामनाएं !
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